आज जन्मे बच्चों का नामाक्षर

दिनांक : 24 फरवरी 2022



समय
  पाया  
  नक्षत्र  
  राशि  
जन्माक्षर

02:09 am
से
07:50 am

ताम्रअनुराधा
3
चरण
वृश्चिकनू

07:51 am
से
01:31 pm

ताम्रअनुराधा
4
चरण
वृश्चिकने
 
01:32 pm 
से
 07:11 pm
 
ताम्र ज्येष्ठा
1
चरण
 वृश्चिकनो

07:12 pm 
से
12:51 am

ताम्रज्येष्ठा
2
चरण
वृश्चिकया

12:52 am
से
06:29 am
(25 
फरवरी)

ताम्रज्येष्ठा
3
चरण
वृश्चिकयी






* जन्मनक्षत्र के अनुसार फलश्रुति *

1. अश्विनी - देह आकृति से सुखद वर्ण प्रतिभा. सामान्य ठीक, अपने कार्य संचालन में सुदक्ष, विलासी, धन सम्पदायुक्त, कलाप्रिय, दिशा-योजना निर्देशक, तकनीकी विषय ज्ञाता, मनोवैज्ञानिक, देश-विदेश यात्रा रूचि, अवसरवादी, व्यावसायिक गति मति ।

2. भरणी - सामान्य वर्ण, लोभी, स्वकार्य संचालन दक्षता, स्वार्थी, चतुर, अति उत्साही, अन्वेषक, ज्ञानसम्पन्न, प्रशासनिक क्षमता, समाजसेवी, अभिनेता, कलाप्रिय, कूटनीतिज्ञ, यशस्वी।

3. कृतिका - स्वाभिमानी, प्रख्यात, तेजस्वी, वाचाल, विलासप्रिय, कला विषय विज्ञाता, दम्भी, परस्त्री आसक्त, भोगी, व्यवहार प्रिय, परिश्रमी, नेतृत्वक्षमता, साधन सम्पन्न, कर्मठ,न्याय प्रिय ,कल्पना शील, पर्यटन प्रवास में अभिरूचि ।

4. रोहिणी - मर्यादाशील, श्रीमन्त, अपने धन का संग्रही-परद्रव्य त्यागी, सौन्दर्यप्रेमी, विलासी, कामुक, मधुरभाषी, स्पष्टवक्ता, मध्यम कद- काठी, विवादी, ईर्ष्यालु, तथापि समाज सुधारक, गुण सम्पन्न, सेवाभावी।

5. मृगशिरा - देह आकृति से ठीक, मन से असन्तुष्ट, समाजप्रिय, अपने कार्य में सुदक्ष, चपल-चंचल, न्याय प्रदाता, संगीतप्रेमी, अभिनेता, सफल व्यवसायी, अन्वेषक, अल्पव्यवहारी, परोपकारी, नेतृत्व क्षमताशील

6. आर्द्रा - वृथाभाषी, स्वाभिमानी, देहस्वरूप से ठीक, कल्पनाप्रिय, सद्गुणी, संघर्षशील, सिद्धान्तकारी, मन सेे उदार, धनिक, प्रगतिशील, अनियमित दिनचर्या, विलासी- विकारी, असन्तोषी वंशानुगत प्राप्त सम्पदा उपभोक्ता ।

7. पुनर्वसु - नीतिशील, गायक, संगीतप्रेमी, सतोगुणी, मादकउपभोक्ता शान्त प्रवृत्ति, भोगी, व्यसनी, योजना निर्माता, दिशानिदेशक, भावुक मनोवृत्ति आत्मविश्वासी, निष्ठाशील, शरीर वर्ण प्रतिभा से सामान्य योगद।

8. पुष्य - ज्ञानी-विवेकशील, जितेन्द्रिय, धनवान, धर्मपरिपालक सर्वीप्रिय, गुणी, शान्त, तथापि चपल-अस्थिर स्वभाव, परिश्रमी, स्वकार्य में दक्ष, दूरदर्शी, अन्वेषक, न्याय प्रदाता, विलासी, धनसम्पदा, सांसारिक सुख उपभोक्ता ।

9. अश्लेषा - निन्दक, बहुभाषी, संचयी, चालाक, आकाक्षाशील, स्वाभिमानी, दृढ निश्चयी, संघर्षशील, धनोपासक, शरीर वर्ण से सामान्य, राजनीति-सामाज में गतिशील नायक मनोवृत्ति विशेष।

10. मघा - उत्साही, चपल, चंचल, भौतिक सुख भावना, समाज-देश के प्रति निष्ठाशील, गुप्तप्रेमी, स्त्द्वेषी, स्वतंत्र कार्य व्यवसाय में गतिमान सुडढ शरीर, अस्थिर स्वभाव, अल्पमित्रता वाले, भौतिक सुख उपभोक्ता, उन्नत महत्वाकांक्षी ।

11. पूर्वाफाल्गुनी - प्रवास पर्यटनशील, मधुरभाषी, सेवाभावी, स्वाभिमानी, हठी, स्वर संगीत कला विद्या प्रेमी, योजना निर्माता, निदेशक, नायक, संघर्षशील, स्वार्थसाधक, नेतृत्वशक्तियुक्त, गोधूम वर्ण, विलक्षण प्रतिभा एवं धनी मानी।

12. उत्तराफाल्गुनी - ज्ञान विवेक प्रतिभाशील, उदारवादी, विद्यावान, जनसमाज-राष्ट्प्रेमी, संस्कारित, शिक्षाविद्, लोक उपकारी, भावुक, सामान्य वर्ण-कद, अल्प परिवार एवं अल्पभाषी, सुलेखक, गुप्तप्रेमी, धन सम्पदा प्रतिभाशील ।

13. हस्त - अपने कार्य में सुदक्ष, परद्रव्य हरण मनोवृत्ति, व्यसनप्रिय, स्पष्टवादी, समाजसेवी, विचारवान, कलावान, शिक्षाविद्, मार्गदर्शक, अल्पकामी, गधूमवर्ण, उन्नत शरीर, मान सम्मान के अनुरागी तथा संघर्षशील मनोवृत्ति बनें।

14. चित्रा - विषयवासनाभोगी, सौन्दर्य अभिलाषी, उत्तम नेत्र, शरीर कदसामान्य, संशयी स्वभाव, वैज्ञानिक-आविष्कारक, समाजसेवी, प्रदर्शन रहित जीवन, कोमल हदय, परिधान वेशभूषा के प्रेमी, धन सम्पदा सामान्य तथापि रहन सहन ठीक बनें।

15. स्वाति - अपने कार्य में सुदक्ष, कमीशन एजेन्ट, धन लेन-देन, आर्थिक व्यवसाय में चतुर, मधुरभाषी, दयालु, नीतिमान, धर्माभिमानी, उद्योगकार्य संचालन में अभिरूचि, सौन्दर्य श्रृंगार प्रेमी, लोकप्रसिद्ध, समाजसेवी, उत्साही।

16. विशाखा - स्वार्थशील, प्रलोभी, कलहप्रिय, स्वतंत्र विचारक, सिद्धान्तवादी, अन्वेषक, वैज्ञानिक, हढ निश्चय मनोवृत्ति, आलोचक, कलाकार, समीक्षक, तर्क-वितर्क, संघर्षप्रेमी, सामान्य धनसम्पदाशील एवं धुन मिजाज के प्रवृत्ति वाले।

17. अनुराधा - प्रवासी पर्यटनशील प्रकृति, धन सम्पदारशील, परिधान आभूषण एवं परिवेश प्रिय, सौम्य व्यक्तित्व, शरीर वर्ण प्रतिभायुक्त, कोमल, अपने कार्य में सुदक्ष, आस्थावान, प्रकृति प्रेमी, स्वतंत्र कार्य उद्योग संचालक, व्यवहार कुशल , लोकनायक।

18. ज्येष्ठा - स्वतंत्र विचारक, कुपित-आवेश प्रकृति, अल्प व्यवहारी, संघर्षशील, वाद प्रतिवाद में निपुण, संकल्पवान एवं स्वाभिमानी मनोवृत्ति, मध्यम शरीर वर्ण प्रतिभा, सामान्य धनसम्पदा, क्रांतिकारी, कठोर परिश्रमी, अन्वेषक मनोत्साही, तथा माता-बन्धु आदि से व्यवहार न्यूनता

19. मूल - यशस्वी, समाजसेवी, कला विज्ञान विज्ञाता, राजनेता, नेतृत्व शक्ति, संकल्पशील, शरीर मध्यम सशक्त देह, कर्मठ, उत्तम विचारक, कामुक, विलासप्रिय, धनसम्पदारशील, साहसी, व्यवहार कुशल , मानव धर्मउपासक, समाजसेवी।

20. पूर्वाषाढ़ा - महिला प्रेमी, विद्वान, वाचाल, साहसी, संघर्षशील, हृढ निश्चरयी, गुप्तप्रेमी, नीति निर्माता, कूटनीतिज्ञ, स्वकार्यकुशल , सम्पादक, धैर्यवान, भाग्यवादी, सन्तोषी, शरीर वर्ण प्रतिभा सहित, व्यक्तित्व विधायक बन पाते हैं।

21. उत्तराषाढ़ा - व्यवहार कुशल, अभिनेता, जनसमाज-राजनीति मैं गतिशील, मानवधर्मप्रेमी, अवसरवादी, यात्रा प्रवास-पर्यटनशील, स्वभाव से हठी, ज्ञान-विज्ञान विज्ञाता, चतुर, वाक्पटु, मान-सम्मान इच्छुक, राजकाज में अभिरूचिशील।

22. श्रवण - शरीर वर्ण प्रतिभा सम्पन्न, आकर्षक प्रारूप, सद्विचारक, नीतिशील, दिशानिदेशक, अभिनेता, कलाप्रिय, यशस्वी, उदार, जन समाज एवं देशप्रेमी, प्रगतिशील, सेवाभावी, सर्वप्रिय, परिश्रमी-संघर्षरत, महत्वाकांक्षी, नेतृत्व क्षमता ।

23. घनिष्ठा - असंतोषी, हठी, संघर्षशील, स्वाभिमानी, स्पष्टवादी, उच्च विचारक, मनस्वी, वाचाल, चपल, स्थूल तथा मध्यम शरीर कद, नेतृत्व क्षमता, यात्रा प्रवास, पर्यटनप्रेमी, सामान्य धनसम्पदा, व्यय खर्च आसक्त, संगीतप्रेमी।

24. शतभिषा - कामवासना, भोगविलास आसक्त, यशस्वी, व्यवहार कुशल, वयोवृद्धसेवी, नीति निर्माता, दिशा निदेशक, ज्ञानी, मानी, गुणग्राही, संघर्षशील, परोपकारी, गुप्तप्रेमी, लेखक, उत्साही, विचारक, एकान्तप्रिय, विषय विज्ञाता, धनसम्पदाशील।

25. पूर्वाभाद्रपद - स्पष्टवादी, अल्पव्यवहारी, असंतुष्ट, नियम नियामक विज्ञाता, कृपण, धनसम्पदारशील, अपने कार्य में सुदक्ष, श्रम साधनाशील, भावुक, कोमल विचारक, सौम्य प्रकृति, वासनाभोगी, चिन्तक, भयभीत, आतुर मनोवृत्ति

26. उत्तराभाद्रपद - लोकप्रिय, आयोजक-समायोजक, ज्ञान-विज्ञान कलाप्रेमी, विचारक, मधुरवक्ता, स्वाभिमानी, बुद्धिमान, कलाकार, लेखक, व्यवसाय निपुण, प्रकृति प्रेमी, सन्तुलित भाषी, तथापि विवादग्रस्त, संग्राहक मनोवृत्तिशील।

27. रेवती - शरीर देह आकृति से प्रतिभाशील, सुधारवादी, जनसमाज एवं देशप्रेमी, अपने कार्य में चतुर, नीति निर्माता, दिशा निदेशक, स्वार्थशील मनोवृत्ति, विवादग्रस्त, तथापि लोकप्रिय, अन्वेषक, अनुसंधानशील गतिमति, योग्य विचारक, सामाजिक नेतृत्व क्षमता प्रदायक।

* जन्मराशि के अनुसार फलश्रुति *

मेष - चपल नेत्र, विकारयुक्त, सिद्धान्तशील, गुणग्राही, मानद, उच्चाभिलाषी, नारी उत्थान प्रिय, उदार, जलाघाती, उद्यमी, सहज कुपित-सहज शांत, राजसेवी, अल्पभोजी, मानव सेवावादी, स्पष्टवादी।

वृषभ - पवित्र मानस, भोगी, दानी, मित्र मण्डलयुक्त, विलासी, चतुर, दम्भी, सभादक्ष, स्त्रीप्रिय, परोपकारी, धन सम्पदायुक्त, सत्यभाषी, स्वास्थ्य प्रिय, अल्प सन्तोषी, परिवार वल्लभ, प्रवीण । 

मिथुन - मधुर, भाषी, चपल नैत्र, दयावान, गायक, रतिप्रेमी, धनवान गुणवान, यथार्थवादी, अधिक भाषी, दृढ संकल्पशील, न्यायप्रिय, यशमान युक्त, गुणी कलाविद्, टृढ मैत्रीकारक चतुर ।

कर्क - कर्मशील, धनवान, बलवान, मनोविकारी, हठवादी, कुटिल वृत्ति, कुपित, मानवतावादी, दुःखभोगी, मित्रप्रिय, शिरपीड़ित गुणवान, देश-विदेश प्रवासी, वस्तु संग्राहक गति-मति शील-चपल।

सिंह - क्षमावान, व्यसनी, विविध क्रियारत, यात्राप्रवास प्रिय, शीत भय, सहज कुपित, मित्रशील, परिवार प्रिय, उच्चाभिलाषी, शत्रुहन्ता, धनसम्पदायुक्त, विविधकला ज्ञाता।

कन्या - स्त्री विकार, प्रवास प्रिय, संगीत अभिरूचि, मानवतावादी, कलाकार, वृद्धवत् आचरणयुक्त, दयावान, सज्जनों का प्रेमी, परिवार प्रिय, उच्चाभिलाषी, धन सम्पदायुक्त मधुर भाषी।

तुला - कुपित, मनोविकार, बोलचाल में निपुण, चंचल, चपल नैत्र, सम-विषम स्थिति का उपभोक्ता, व्यापार दक्ष, बहु मित्रमंडलयुक्त, प्रवास प्रिय, क्रय-विक्रय निपुण, दयावान, वस्तु संग्राहक कलाविद् साहित्यप्रेमी ।

वृश्चिक - देश-विदेश प्रवासरत, कुटिल, शक्तिशील, कामवासनारत, परिवार अनासक्त स्वार्थ तत्वी, अनैतिक कार्य क्रियारत, साहसी कुपित, द्वेषी, मित्रद्रोही, श्रमसाध्य लाभ आमद वाला, मातृसुख न्यून तथा दशक मति ।

धनु - बलवान, हठवादी, चतुर स्वार्थ परायण, विविधकला ज्ञाता, अभिमानी, स्त्री सुखदा, सेवाभावी, मधुर भाषी, भाग्यवान एवं गुण कला संग्राहक ।

मकर - श्रमजीवी, स्रीआसक्त, सेवावादी, बहु परिवारी, धनवान, कलाविद्, सत्यभाषी, गंभीर मनोवृत्ति तथा विकारयुक्त, दोषाऽरोपक, राजसेवी ।

कुम्भ - परोपकारी, चतुर, वस्तु संग्राहक, धन सम्पदारशील, कलाप्रिय, सुखद नैत्र, सरल स्वभाव, धनविद्या हेतु उद्यमशील, संगीतप्रिय ।

मीन - शुभ आचरण, परिवार वल्लभ, संगीत प्रेमी, सेवाभावी, ज्ञानी, मितव्ययी, बोलचाल में दक्ष, विविध मार्ग से लाभद। स्पष्टवादी मानद जीव, कलाप्रिय, तथा जीवनीय स्तर सुखद ।

|| आज का पंचांग ||



दिनांक : 02 मार्च 2022

आज का पंचांग   


सूर्योदय का समय : प्रातः 06:45

सूर्यास्त का समय : सायं 06:21

 

चंद्रोदय का समय : प्रातः 06:42

चंद्रास्त का समय : सायं 06:02 


तिथि संवत :-

दिनांक - 02 मार्च 2022

मास - फाल्गुन

पक्ष - कृष्ण पक्ष

तिथि - अमावस्या बुधवार रात्रि 11:04 तक रहेगी

अयन -  सूर्य उत्तरायण

ऋतु -  शिशिर ऋतु

विक्रम संवत - 2078

शाके संवत - 1943

सूर्यादय कालीन नक्षत्र :-

नक्षत्र - शतभिषा नक्षत्र रात्रि 02:37 तक रहेगा इसके बाद पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र रहेगा

योग - शिव योग प्रातः 08:21 तक रहेगा इसके बाद सिध्द योग रहेगा

करण - चतुष्पाद करण प्रातः 11:59 तक रहेगा इसके बाद नाग करण रहेगा

ग्रह विचार :-

सूर्यग्रह - कुम्भ

चंद्रग्रह - कुम्भ 

मंगलग्रह - मकर

बुधग्रह - मकर

गुरूग्रह - कुम्भ

शुक्रग्रह - मकर

शनिग्रह - मकर

राहु - वृषभ

केतु - वृश्चिकराशि में स्थित है

* शुभ समय *

अभिजित मुहूर्त :-

आज अभिजित मुहूर्त नहीं है

विजय मुहूर्त :-

दोपहर 02:29 से दोपहर 03:16 तक  रहेगा

गोधूलि मुहूर्त :-

सायं 06:10 से सायं 06:34 तक  रहेगा

निशिता मुहूर्त :-

रात्रि 12:08 से रात्रि 12:58 तक  रहेगा

ब्रह्म मुहूर्त :-

प्रातः 05:05 (03 मार्च) से प्रातः 05:55 तक रहेगा


* अशुभ समय * 

राहुकाल :-

दोपहर 12:33 से दोपहर 02:00 तक  रहेगा

गुलिक काल :-

प्रातः 11:06 से दोपहर 12:33 तक  रहेगा

यमगण्ड :-

प्रातः 08:12 से प्रातः 09:39 तक  रहेगा

दूमुहूर्त :-

दोपहर 12:10 से दोपहर 12:57 तक  रहेगा

वर्ज्य :-

प्रातः 10:39 से दोपहर 12:10 तक  रहेगा

पञ्चक :-

संपूर्ण दिन तक  रहेगा

दिशाशूल :-

उत्तर दिशा की तरफ रहेगा यदि जरुरी हो तो दूध  पीकर यात्रा कर सकते है

चौघड़िया मुहूर्त :-

दिन का चौघड़िया 

प्रातः 06:45 से 08:12 तक लाभ का

प्रातः 08:12 से 09:39 तक अमृत का

प्रातः 09:39 से 11:06 तक काल का

प्रातः 11:06 से 12:33 तक शुभ का

दोपहर 12:33 से 02:00 तक रोग का

दोपहर 02:00 से 03:27 तक उद्वेग का

दोपहर बाद 03:27 से 04:54 तक चर का

सायं 04:54 से 06:21 तक लाभ का चौघड़िया  रहेगा


रात का चौघड़िया

सायं 06:21 से 07:54 तक उद्वेग का

रात्रि 07:54 से 09:27 तक शुभ का

रात्रि 09:27 से 11:00 तक अमृत का

रात्रि 11:00 से 12:33 तक चर का

अधोरात्रि 12:33 से 02:06 तक रोग का

रात्रि 02:06 से 03:39 तक काल का

प्रातः (कल) 03:39 से 05:12 तक लाभ का

प्रातः (कल) 05:12 से 06:44 तक उद्वेग का चौघड़िया रहेगा

आज जन्मे बच्चों का नामाक्षर :-  

समय
  पाया  
  नक्षत्र  
  राशि  
जन्माक्षर

03:49 am
से
09:28 am

ताम्रशतभिषा
1
चरण
कुम्भगो
 
09:29 am
से
03:10 pm

 
ताम्र शतभिषा
2
चरण
 कुम्भसा

03:11 pm
से
08:53 pm


ताम्र शतभिषा
3
चरण
कुम्भसी

08:54 pm
से
02:37 am
(03 मार्च)
ताम्र शतभिषा
4
चरण
कुम्भसू

आज विशेष :-

आज शिव योग में कपूर दान करना शुभ फलदायी होता है आज बुधवार को बुध भगवान की मूर्ति का गंध पुष्पादि से पूजन करें सफेद वस्त्र धारण कर गुड़ दही और भात का नैवेघ अर्पण कर उन्ही पदार्थो का ब्राह्मणों को भोजन कराएं तो बुध जनित दोष दूर होते है शतभिषा नक्षत्र में वरुण देवता का उत्तम प्रकार के गंध फल फूल दूध दही भोज्य धूप व दीप आदि से पूजन कर व्रत करें तो इच्छित सफलता मिलती है


* बुधवार व्रत कथा *

पूजा विधि :-

ग्रह शान्ति तथा सर्व-सुखो की इच्छा रखने वालो को बुधवार का व्रत करना चाहिए । इस व्रत मे रात दिन में एक बार भोजन ही करना चाहिए । इस व्रत के समय हरी वस्तुओ का उपयोग करना श्रेष्ठ है । इस व्रत के अंत में शंकर जी की पूजा धुपबेल-पत्र आदि से करना चाहिए।साथ ही कथा सुन कर आरती के बाद प्रसाद लेकर जाना चाहिए। बीच मे नही जाना चाहिए ।

कथा प्रारम्म :-

एक समय एक व्यक्ति अपनी पत्नी को विदा करवाने अपनी ससुराल गया। वहाँ पर कुछ दिन रहने के बाद सास-ससुर से विदा करने के लिए कहा। किन्तु सब ने कहा कि आज बुधवार है आज के दिन गमन नही करते है । वह व्यक्ति किसी प्रकार न माना ओर हठधर्मी करके बुधवार के दिन ही पत्नी को विदा कराकर अपने नगर को चल पड़ा। रहा मे उसकी पत्नी को प्यास लगी तो उसने अपने पति को कहा कि मुझे बहुत जोर से प्यास लगी है। 

तब वह व्यक्ति लोटा लेकर रथ से उतरकर जल लेने चला गया । जैसे ही वह पत्नी के निकट आया तो वह यह देखकर आश्चर्य से चकित रह गया कि ठकि अपनी ही जैसी सूरत तथा वैसी ही वेश-भूषा मे वह व्यक्ति उसकी पत्नी के पास रथ मे बैठा हुआ है। उसने क्रोध से कहा कि तू कौन है जो मेरी पत्नी के निकट बैठा हुआ है। दूसरा व्यक्ति बोला यह मेरी पत्नी है। मै अभी-अभी सुसराल से विदा करा कर ला रहा हूं। 

वे दोनो व्यक्ति परस्पर झगड़ने लगे। तभी राज्य के सिपाही आकर लोटे वाले व्यक्ति को पकड़ने लगे । स्त्री से पूछातुम्हारा असली पति कौन सा है तब पत्नी शान्त ही रही क्योकि दोनो एक जैसे थे वह किसे अपना पति कहे । वह व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करता हुआ बोला- हे परमेश्वर यह क्या लीला है कि सच्चा झूठा बन रहा है तभी आकाशवाणी हुई कि मूर्ख आज बुधवार के दिन तुझे गमन नही करना था । तूने किसी की बात नही मानी । यह सब लीला बुधदेव भगवान की है। 

उस व्यक्ति ने बुधदेव भगवान से प्रार्थना की और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी । तब बुधदेव जी अनतर्ध्यान हो गए। वह अपनी स्त्री को लेकर घर आया तथा बुधवार का व्रत वे दोनो पति पत्नि नियमपूर्वक करने लगे । जो व्यक्ति इस कथा को श्रवण करता तथा सुनाता है उसको बुधवार के दिन यात्रा करने में कोई दोष नही लगता हैउसको सर्व प्रकार से सुखो की प्राप्ति होती है                          

नोट :-  दैनिक पंचांग हर सुबह 05:00 बजे से पहले या तक अपडेट किया जाता है